छू कर मुझे बता दो के मैं ज़िन्दाँ हूँ अभी !
वक़्त की ठोकरें लगा दो मैं ज़िन्दाँ हूँ अभी !!
वही रातें है वहीँ दिन, बस इक तुम ही नहीं,
होने का अहसास दिला दो मैं ज़िन्दाँ हूँ अभी !!
वही शहर, वही कूचें, और रास्ते है वहीँ
तुम कहाँ हो यह बता दो, मैं ज़िन्दाँ हूँ अभी !!
तुम कुछ कहो या न कहो मैं यह कहता हूँ ,
मेरी मुहब्बत आज़मा लो, मैं ज़िन्दाँ हूँ अभी!
तेरी चाहत तेरी आरज़ू, यह इबादत है मेरी,
अपनी वफ़ा का एहसास करा दो, मैं ज़िन्दाँ हूँ अभी !!
तेरा वस्ल, तेरी मुहब्बत, हमारी किस्मत में न सही
बस मेरी यादों में ही मुस्करा दो, मैं ज़िन्दाँ हूँ अभी!!
2 comments:
बहुत बढ़िया काविता। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
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