Thursday, August 6, 2020

क्या जानूं?

 

उम्र के बड़ते  कदम कहाँ ले जायेंगे क्या जानूं?
कौन कितने मेरे अपने    रह पाएंगे क्या जानूं?

जो बहुत क़रीब थे अब बहुत दूर नज़र आते हैं,
कितने दुःख दर्द वह और देते जायेंगे क्या जानूं?

अक्सर अब बीते दिनों की यादों में खो जाता हूँ,
कैसे वो लम्हे सपने हो कर रह जायेंगे क्या जानूं?

चाहता तो था जो दिल के क़रीब थे वो पास रहें,
वक़्त गुज़रते वो अनजाने हो जायेंगे क्या जानूं ?

उदासियों के समंदर की गहराई बढ़ती ही जाती है,
कब फिर खुशियों  के पल लौट पाएंगे कया जानूं ?

लिखने को तो बहुत कुछ है मन भरा पड़ा है जैसे,
लेकिन मेरे अपने कभी सुन भी पाएंगे क्या जानू ?

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