यह रचना लिखने का बड़ा मज़ा आया! मैंने कोशिश की है अपने कुछ जाने पहचाने साथी ब्लागरो के ब्लाग व उनकी कुछ रचनाओं को अपनी इस ग़ज़ल में शामिल करने की! इस ग़ज़ल का मीटर सही रखना कुछ मुश्किल था फिर भी कोशिश की है. उम्मीद करता हूँ आप को पसंद आएगी!
यारो शामिल हों जाओ हम ब्लागरो की महफ़िल सजाये बैठे है!
आ जाओ खेलो अपनी रचनायों से हम बिसात बिछाए बैठे है !!
आईये 'समीर जी' 'उड़न तश्तरी' अपनी विल्लज की कतरने ले कर
और हम सब को बताये अपने किस्से जो भाभी जी से छुपाये बैठे है !!
'श्यामल' जी अपनी 'मनोरमा' के कभी हम को भी दर्शन करवाइए,
यह कौन सी 'खुश्बू'है जो आप अपने घर के अन्दर फैलाये बैठे है??
'वाणी' जी अपनी 'ज्ञानवाणी' से हमे कुछ उपदेश ज़रूर सुनाये,
क्यों आप अपनी खिड़की के बाहर , तिरंगा झंडा फेहराए बैठे है!!
'दिगम्बर नासवा' जी आप अपने सपनों की दुनिया में क्यों खोये है,
'गुरु पंकज' की अनुकम्पा से क्या अति सुन्दर ग़ज़लें बनाए बैठे है!!
वाह वाह 'अनिल कान्त' जी कसम से आप क्या ज़बरदस्त लिखते है,
हम बेचारे सब पाठक पढ़ पढ़ कर आँशुयों की नदिया बहाए बैठे है,
'निर्मला कपिला' जी आप भी क्या खूब 'वीरांचलगाथा' लिखती है,
औरों के दुःख को देख अपना दुःख छोटा मान कर भुलाए बैठे है !!
'शिखा वार्ष्णेय' जी लन्दन से, आप की 'सपंदन' तो अन्तराल छूती है,
'किस की शामत आयी है' ? लिखती है जैसे आप डंडा उठाये बैठे है !!
मैंने कहा 'पी सिंह' जी आप क्यों 'वक़्त के हाथों तकदीरें' सौंपे हुए है?
आप मैनपुरी से अब ग़ज़लों के लिखने की खूब धाक जमाये बैठे है!!
अब क्या कहूं 'संजय भास्कर' जी की अजीब 'आदत है मुस्कराने' की
'न तूने कुछ कहा' लिख कर दिल के क्या क्या राज़ बताये बैठे है!!
'खुशदीप सहगल' जी क्या कमाल लिखा आप ने 'देशनामा' में अभी,
इसे पढ़ कर हम अपनी नयी सोच बनाने का इरादा बनाये बैठे है!!
14 comments:
आशु भाई,
आपको रचना लिखने में मज़ा आया, हमें ब्लॉगवुड की विभूतियों के बारे में पढ़ने में मज़ा आया...
जय हिंद...
आशु जी .......... मज़ा आ गया भाई आपकी यह ग़ज़ल पढ़ कर ...... मीटट में है भाई चिंता न करो ..... धमाकेदार शेर हैं ......
आशु...भाई.... बहुत खूबसूरत लिखा आपने....... मज़ा आ गया.......
अरे आशु जी कमाल कित्ता जी....माशाल्लाह....और शुक्रिया जनाब हम जैसे नाचीजों को याद रखने का
बढ़िया महफ़िल सजाई है.....कभी ऐसी महफ़िल में हम जैसों को भी याद करें.....
वाह वाह क्या बात है...बड़ी सुन्दर ग़ज़ल कह डाली ब्लॉगर्स...के नाम उनके ब्लॉग और पोस्ट भी शामिल..बहुत दुष्कर कार्य है ये तो...फिर भी बखूबी निभाया
खूब महफ़िल जमाई आपने तो ...बहुत बढ़िया :)
आशु जी,
सचमुच आपकी इस ब्लागरों की महफ़िल में आकर अच्छा लगा। सुन्दर गजल है आपकि।
पूनम
ब्लॉगरों की महफिल और आपकी पेशकश दोनो ही अच्छे ।
खुशदीप जी , दिगम्बर जी, महफूज़ भाई शिखा जी , संगीता जी ,रश्मि जी , रंजना जी , पूनम जी व आशा जी
मैं आप सब का बहुत आभारी हूँ जो आप को यह रचना पसंद आयी और मुझे बहुत महसूस हुआ की मेरे और ब्लागर साथिओं को मैं अपनी रचना में शामिल नहीं कर पाया!
इसी लिए मैंने तय कर लिया है की शीघ्र ही मैं इस का दूसरा भाग ज़रूर लिखूंगा! बस आप थोडा इन्तिज़ार करें!
आशु
वाह आशूजी। कमाल है इतनी अच्छी गज़ल कह दी और इसे एक कोशिश ही बता रहे हैं । अपना नाम देख कर खुशी और हैरानी हुय़ी। धन्यवाद मुझे भी मीटर मे रखने के लिये। गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
आशू साहब
इस पोस्ट की जितनी भी तारीफ की जाये कम है
सभी ब्लोगर को आपने एक सूत्र में बांधा है |
बहुत ही सुन्दर गजल
आपका दिल से आभार
तुसी ते एहदे विच
खुशियों दा रूमाल
धर दीन्हा
झीनी भीनी
ब्लॉग चदरिया
शब्दों की नदिया।
दो पंक्तियाँ मेरी तरफ से....
अभी ही देखी आपकी कृति और मन हो गया है बस बाग़-बाग़
मूर्धन्य ब्लाग विभूतियों को आप बहर पर बिठाये बैठे हैं
बहुत सुन्दर...
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