घर जाते लगता है मेरा बचपन बुला रहा है !!
भूली यादों का तूफ़ान सा दिल में समा रहा है !!
रेल की खिड़की पर बैठ सदा महसूस हुआ है;
जो जितना क़रीब था वो उतना दूर जा रहा है !!
माँ, बहिन, भाई, संग के खेले सभी साथी,
जैसे कोई चलचित्र सा ज़ेहन पर छा रहा है !!
क्या हो गया हमें, किस दौर से गुज़र रहे हैं?
अपने से हो गुमशुदा, मन भटका जा रहा है !!
बेतरतीब ख्यालों की रफ़्तार कम नहीं होती,
यादों का काफिला बस गुज़रता ही जा रहा है !!
अपनों से बिछड़े पल, सालों में बदल गए है,
वक़्त का गुबार यादों पे बिखरा जा रहा है !!
हंसने को तो यह मन करता हैं बहुत "आशु"
बस यादों का सिलसिला मुझ को रुला रहा हैं !!
भूली यादों का तूफ़ान सा दिल में समा रहा है !!
रेल की खिड़की पर बैठ सदा महसूस हुआ है;
जो जितना क़रीब था वो उतना दूर जा रहा है !!
माँ, बहिन, भाई, संग के खेले सभी साथी,
जैसे कोई चलचित्र सा ज़ेहन पर छा रहा है !!
क्या हो गया हमें, किस दौर से गुज़र रहे हैं?
अपने से हो गुमशुदा, मन भटका जा रहा है !!
बेतरतीब ख्यालों की रफ़्तार कम नहीं होती,
यादों का काफिला बस गुज़रता ही जा रहा है !!
अपनों से बिछड़े पल, सालों में बदल गए है,
वक़्त का गुबार यादों पे बिखरा जा रहा है !!
हंसने को तो यह मन करता हैं बहुत "आशु"
बस यादों का सिलसिला मुझ को रुला रहा हैं !!
7 comments:
गुज़रती उम्र में ऐसे ख्याल मन को अक्सर तड़पाते हैं ... अपनों की यादें साथ नहीं छोड़ती ...
लाजवाब भावपूर्ण ग़ज़ल ...
बहुत ही सुंदर रचना। बेहद मार्मिक भावों से युक्त पोस्ट की प्रस्तुति। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
यादों के पन्ने पलटती रचना। बहुत खूब।
यादों के पन्ने पलटती रचना। बहुत खूब।
Nice post, things explained in details. Thank You.
बहुत ही उम्दा भाव, आभार
I certainly agree to some points that you have discussed on this post. I appreciate that you have shared some reliable tips on this review.
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