मेरे पास आ बेठो ज़रा,
मेरा मन अभी भरा नही!
तुझे बाहों मे लिया नही !
प्यार भी अभी किया नही!
फिर क्यों ज़ल्दी है जाने की!
छोड़ड़ो आदत बाहाने बनाने की!
जिद न करो यूँ जाने की,
अभी तो कुछ कहा नही!
पहले तुम जब आती थी!
घंटों तक ठहर जाती थी!
बातों में हम खो जाते थे!
दोनों बाँहों में सो जाते थे
अब आँखें मत तरेरों तुम
मुझ से जाता सहा नही!
रुक जाओ मुझे जी लेने दो!
नैनों के प्याले पी लेने दो!
तेरी साँसों में खो जाने दो !
मन की प्यास बुझाने दो!
मत जाओ, न तद्पाओ,
तुम बिन जाता रहा नही!
4 comments:
बहुत खूब!
वाकई बढ़िया
समीर जी और राजेश जी
बहु बहुत शुक्रिया ..आप ने मुझे बीच मी पकड़ लिया क्योंकी मुझे लिखते लिखते बीच मे से ही जाना पड़ गया। मेरा उत्साह बढाने के लिए आप का बहु आभारी हूँ
आशु
कोमल खयालों की बेहतरीन रुमानी रचना..
***राजीव रंजन प्रसाद
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