क्या तुम अपने ही अकस से यूं शरमायोगी?
सामने आ के भी हम से आँखें न मिलायोगी?
माना के मिले हैं हम एक मुद्दत के बाद,
बात ना की तो बाद में बहुत पछ्तायोगी !!
जानता हूँ तुम्हे हमारी याद तो आयी होगी,
अपने दिल धड़कनो को कैसे छुपाओगी?
जब हम बिछड़ेंगें फिर इस मुलाक़ात के बाद,
इस को याद कर गहराईयों में डूब जाओगी !!
दुआ करो मिलन के यह लम्हे ख़तम न हो,
एक रोज़ तुम खुशियों के गीत गुनगुनाओगी
2 comments:
शरमाओगी
पछताओगी
वाह
बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएँ
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