Sunday, August 15, 2010

लम्हा.. लम्हा.. लम्हा ..जिंदगी है....



हर लम्हा जो हम जी रहे है..उसे उसे एक एक कर के इकठ्ठा करें तो एक जिंदगी तये हो जाती है. कुछ सुन्दर यादों को समेटे हुए तो कुछ खट्टी मीठी व् कडवी यादों को समेटे हुए.इन बीते लम्हों में हम कितने रिश्ते बना लेते है और कितने अपने हमे छोड़ कर अपनी मंजिल की और चले जाते है.. जैसे गाडी में बैठे सभी को अपने अपने स्टेशन पर उतर जाना होता है..कुछ ऐसे ही वह हम से बिछड़ जाते है.. कितने और सवार लोग जो हमे गाडी में मिलते है वोह अनजाने ही रह जाते हैं क्योंकि हम उन के साथ कुछ अपने लम्हे बिता नहीं पाते जा बिताने का मौका नहीं देते..हम क्यों नहीं प्यार के साथ कुछ पल कुछ लम्हे या कुछ क्षण उन के साथ बिता पाते?

जिंदगी की गाडी दौड़ती जाती है ..चाहे हम उन लम्हों को हंस कर बिता दे जा किसी से नाराज़ हो कर जा कोई बात न कर..इस के लिए कोई शिकवा जा शिकायात किसी से ना कर के अपने ही अन्दर खोजना चाहीये के हम ने वो कीमती लम्हे क्यों जाया किये..?

कुछ ऐसे ही लम्हे थे वो भी ...जिस तरह से तुम मुझे पकड़ कर अपनी पकड़ खोने नहीं देना चाहती थी ..उन लम्हों में तुम्हारी एक नज़र मेरे होंठों पर बरबस ही और बड़ी आसानी से कैसे एक मुस्कान पैदा कर देती थी...अपने आप में खो जाने का इक एहसास सा दिल में जाग उठता था..जंगली तितलियों जैसे दिल में उड़ उड़ कर अपने अन्दर एक एहसास की गर्मी पैदा कर देने वाले वोह लम्हे...तुम्हारे एक कोमल स्पर्श के साथ, दिल की धड़कने जैसे धडकना ही भूल जाती थी...आँखें, सब कुछ भूल कर ..आसपास से दूर कर के किसी एक अनजानी दुनिया के सपनों में ले जाती थी ..उन लम्हों के गुज़र जाने का एहसास अभी भी क्यों बना हुआ है..

कभी तो ऐसे लगता था केवल तुम और मैं ही मेरी दुनिया में मौजूद थे ...सिर्फ तुम और मैं एक साथ ..कितने मायने रखते थे वोह पल ...आज भी..तुम्हारे साथ गुज़रे हुए वो लम्हे जीवन में सब से अनमोल लम्हे है..क्षण हैं..पल है..जिन्हें आज भी दिल में हमेशा के लिए लगाये रहा हूँ...वोह..पल...वोह लम्हे ..जुड़ जुड़ कर एक जिंदगी बन चुके है....यादों में है...बस!!

4 comments:

दिगम्बर नासवा said...

बीते हुवे लम्हों से रिश्ता रहता है तभी तो जीवन रहता है ... हमेशा अतीत ही अच्छा लगता है .....

SATYA said...

सुंदर अभिव्यक्ति.

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

बहुत खूबसूरत लगा आपका यह शब्दचित्र। हार्दिक बधाई।

अनिल कान्त said...

बहुत भावनात्मक लिखा है .....अच्छा लगा पढ़कर

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