सभी ब्लागरों को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं !!
इस अवसर पर पेश है एक नयी ग़ज़ल, उम्मीद करता हूँ आप सब को ज़रूर पसंद आएगी:
मंजिल दूर तो है लेकिन, तुम हिम्मत कर के चलो!!
राह मुश्किल हों तो हों, तुम प्यार के रंग भर के चलो!!
जिंदगी तो सुलगती रहती है सदा कशमकश में मगर,
रोज़मर्रा की ज़दोजहद से तुम निकल उभर के चलो!!
कभी समझेगा कोई तेरी उलझनों के तानो-बानो को,
तुम इस ख्याल को अपने ज़ेहन से अलग कर के चलो!!
सुना करते थे के जिंदगी को जिंदादिली का नाम है,
सो तुम सीना तान के जूझो और हों निडर के चलो !!
ग़मों के अंधेरों में उम्मीदों का दिया जलाये रखना,
भूल के कल की बीती बातें, आज को बना संवर के चलो!!
11 comments:
ग़मों के अंधेरों में भी उम्मीदों का दिया जलाये रखना,
भूल के कल की बातें आज को बना संवर के चलो !!
अच्छे भाव की पंक्तियाँ। कहते हैं कि-
जो बीता कल क्या होगा कल
है इस कारण तू व्यर्थ विकल
आह अगर तू सफल बना ले
आज सपल तो जनम सफल
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
हम्मत शायद हिम्मत होना था क्या..
बहुत उम्दा भाव हैं, बधाई.
श्यामल जी व समीर जी,
होंसला बढाने के लिए आप का बहुत बहुत शुक्रिया. श्यामल जी आप की share की हुई लाईने
बहुत सुन्दर लगी. समीर भाई गलती सुधारने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
आशु
जिंदगी जिन्दादिली का ही तो नाम है ....
नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें ...!!
सुना करते थे के जिंदगी को जिंदादिली का नाम है,
सो तुम सीना तान के जूझो और हों निडर के चलो
ग़मों के अंधेरों में उम्मीदों का दिया जलाये रखना,
भूल के कल बीती बातें, आज को बना संवर के चलो
बहुत जिन्ददिल शेर कहे हैं आपने ........... बेहद खूबसूरत .........
बहुत सुन्दर सकारात्मक कविता शुभकामनायें
ग़मों के अंधेरों में उम्मीदों का दिया जलाये रखना,
भूल के कल बीती बातें, आज को बना संवर के चलो!
bahut khubsurat jindgi se bhari rachna.
बहु खूब सुन्दर रचना
बहुत बहत आभार
वाणी जी, दिगंबर जी, निर्मल जी, शिखा जी और पी. सिंह जी ,
आप के स्नेह भरे भरे होंसला बढाने वाले शब्दों के लिया आप का बहुत आभारी हूँ. आप अपना यह प्यार इसी तरह से बनाये रखे.
बहुत बहुत शुक्रिया
आशु
बहुत उम्दा भाव हैं, बधाई.
Bahut sunder bhav !
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