रौशनी की एक
खूबसूरत किरण
जो ज़िन्दगी की सुबह से
शाम के अंधेरे तक
चेहरे पर
बिखर जाती थी
एहसास दिला जाती थी
ज़िन्दगी की
खूबीयों का
कमीयों का
आशाओं का
निराशाओं का
जो रूह को
सहला जाती थी
अब शाम आने पे
उस का बजूद
ख़तम हो चुका है
वोह किरण
गुम हो चुकी है
कहीं अंधेरो में
खो चुकी है
पर
उस के प्यार
का एहसास
उस ने जो
रौशनी दी
वोह रूह की
गहराईओं में
समाई रहेगी
रास्ता दिखाती रहेगी
मेरी ज़िन्दगी की
शाम होने तक
एक शमा
मेरे अन्दर
जगमगाती रहेगी
4 comments:
waah bahut behtreen likha hai aapne ...bahut achchha likhte hain aap
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
उस के प्यार
का एहसास
उस ने जो
रौशनी दी
वोह रूह की
गहराईओं में
समाई रहेगी
रास्ता दिखाती रहेगी
मेरी ज़िन्दगी की
शाम होने तक
एक शमा
मेरे अन्दर
जगमगाती रहेगी
आशु जी ,
बहुत ही भावनात्मक कविता ...और खुशी इस बात की की आप ने फिर से लिखना शुरू किया ...ये कविता आपकी रचनात्मक प्रक्रिया ही आदरणीय माता जी के न रहने के दुःख को कुछ हद तक कम कर सकेगी .आशा करता हूँ आगे भी लिखेंगे .
हेमंत कुमार
आशु जी ,
बहुत बढ़िया लगी आपकी कविता ...अत्यंत भावनात्मक ...मेरी शुभकामनाएं.
पूनम
neat work man.
good job.
keep writing.
---
The Fun place.
Post a Comment