Tuesday, May 6, 2008

बीते दीन

पुराने बीते दिनों की

यादों में खोया था

एक पेड़ के नीचे 

जागा सा सोया सा 

याद करने लगा 

बीते लम्हों को 

तभी एक पत्ता 

पीला सा मुरझाया सा 

डाली से टूट कर 

मेरी गोद में आ गिरता है

और याद दिला देता है 

कुछ मधुर क्षणों की 

जब हम तुम 

संग बैठा करते थे 

हम हँसते थे 

और कभी रो देते थे 

और आज 

तुम नही हो 

और ना ही इस पेड़ पे 

वह सब्ज़ पत्ते हैं 

अब तो बस सूखे 

मुरझाये पत्ते 

मेरी यादों की तरह 

नीरह से टूट रहे हैं 

मेरे आसतितव के बृक्ष से !!

3 comments:

Keerti Vaidya said...

wah..bahut khoob

likhtey rahey hamesha

आशु said...

Hi Keerti,

Thanks for your beautiful comments. I sincerely appreciate them as only an heart with similar thoughts can understand.

Regards,
Ashoo

Karla said...

Thank yyou for this

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