अमीर खुसरो रात समय वह मेरे आवे। भोर भये वह घर उठि जावे॥ यह अचरज है सबसे न्यारा। ऐ सखि साजन? ना सखि तारा॥ नंगे पाँव फिरन नहिं देत। पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत॥ पाँव का चूमा लेत निपूता। ऐ सखि साजन? ना सखि जूता॥ वह आवे तब शादी होय। उस बिन दूजा और न कोय॥ मीठे लागें वाके बोल। ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल॥ जब माँगू तब जल भरि लावे। मेरे मन की तपन बुझावे॥ मन का भारी तन का छोटा। ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा॥ बेर-बेर सोवतहिं जगावे। ना जागूँ तो काटे खावे॥ व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की। ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी॥ अति सुरंग है रंग रंगीले। है गुणवंत बहुत चटकीलो॥ राम भजन बिन कभी न सोता। क्यों सखि साजन? ना सखि तोता॥ अर्ध निशा वह आया भौन। सुंदरता बरने कवि कौन॥ निरखत ही मन भयो अनंद। क्यों सखि साजन? ना सखि चंद॥ शोभा सदा बढ़ावन हारा। आँखिन से छिन होत न न्यारा॥ आठ पहर मेरो मनरंजन। क्यों सखि साजन? ना सखि अंजन॥ जीवन सब जग जासों कहै। वा बिनु नेक न धीरज रहै॥ हरै छिनक में हिय की पीर। क्यों सखि साजन? ना सखि नीर॥ बिन आये सबहीं सुख भूले। आये ते अँग-अँग सब फूले॥ सीरी भई लगावत छाती। क्यों सखि साजन? ना सखि पाति॥ |
मेरे ब्लॉग में आप का स्वागत है. आप के लिए पेश है मेरी सभी रचनाये, संक्षिप्त कहानियां, ग़ज़लें व् कवितायेँ . कृपया ब्लॉग पढने के बाद अपनी टिप्पणियाँ ज़रूर दें. मेरे दुसरे ब्लॉग पर ज़रूर आये: http://sukhsaagar.blogspot.com/ http://dayinsiliconvalley.blogspot.com/ http://whatsupsiliconvalley.blogspot.com/ and http://yahanmainajnabi.blogspot.com/
Tuesday, May 17, 2011
मुकरियाँ - अमीर खुसरो
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Copyright !
Enjoy these poems.......... COPYRIGHT © 2008. The blog author holds the copyright over all the blog posts, in this blog. Republishing in ROMAN or translating my works without permission is not permitted.
1 comment:
अमीर ख़ुसरो की कह मुकरियों को प्रकाशित कर के आप ने दुर्लभ विधा को जीवंत बनाए रखेने हेतु सुंदर प्रयास किया है| साधुवाद के अधिकारी हैं आप| समस्या पूर्ति मंच पर पधारने के लिए आभार मित्र|
Post a Comment