यह तमन्ना रहती थी मेरी, कि करते तुम से दो बातें,
जो सकून दे दिल को मेरे, करते तमाम हम वोह बातें
कुछ हम भी कह ना पाते थे, कुछ यह दुनिया भी जलती थी,
जाने क्यों रोकती थी मुझ को, न करने देती थी क्यों बातें
यही आरज़ू रहती थी मेरी, कि मिल जाये तूं वीराने में
तो कह देता मैं तुम से सब, थी दिल में मेरे जो बातें
ज्यों तो अक्सर मिल जाती थी, रोज़ नहीं वक्फे पे सही
पर जुबां ही कह न पाती थी, कहनी थी दिल ने सौ बातें
अब तो दुआ ही दे सकता हूँ, ओ दूर जाने वाले राही
दिल मेरा टूट चूका है , सो चाहे अब हो न हो बातें
अरमान जल चुके हैं अब तो, दुनिया उजढ़ चुकी मेरी,
आंशु ही निकल आते है अब, नहीं करनी कोई अब तो बातें
4 comments:
यही आरज़ू रहती थी मेरी, कि मिल जाये तूं वीराने में
तो कह देता मैं तुम से सब, थी दिल में मेरे जो बातें
ज्यों तो अक्सर मिल जाती थी, रोज़ नहीं वक्फे पे सही
पर जुबां ही कह न पाती थी, कहनी थी दिल ने सौ बातें
आशु जी स्वागत है .....सुंदर नज़्म .....!!
अब तो दुआ ही दे सकता हूँ, ओ दूर जाने वाले राही
दिल मेरा टूट चूका है , सो चाहे अब हो न हो बातें
अरमान जल चुके हैं अब तो, दुनिया उजढ़ चुकी मेरी,
आंशु ही निकल आते है अब, नहीं करनी कोई अब तो बातें
Bahut khoobasurat gajal.
Poonam
बेहतरीन गजल---पढ़ कर अच्छा लगा।
हेमन्त कुमार
होंसला बढाने के लिए आप सब का बहु बहुत शुक्रिया. उम्मीद करता हूँ आप ऐसे ही अपना प्यार बनाये रखेंगे
आशु
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