Friday, October 31, 2008

मेरे सांवरिया

ना मरोरो बैंया मेरे कन्हैया मैं तो तेरी दासी हूँ
तुम्ही तो मेरे प्रीतम हो, मैं तो तेरे रंग रासी हूँ !!

छबि तोरी बसी मन मोरे, मेरे प्यारे भोले सांवरिया,
देखूं जब तुम्हे सूझे कुछ नाही, मैं हो जाऊं बाँवरिया!

अब आ जाओ, मत सताओ, तेरे दर्श की प्यासी हूँ
तुम्ही तो मेरे प्रीतम हो, मैं तो तेरे रंग रासी हूँ !!

सुध बुध विसार दूँ मैं सुन तेरी बंसी की तान रे,
तुम क्यों निष्ठुर हों मेरी हालत से अनजान रे!

रिम झिम बरसे मोरे नैना, तेरे लिए मैं ना सी हूँ
तुम्ही तो मेरे प्रीतम हो, मैं तो तेरे रंग रासी हूँ !!

2 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छा।

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Ashooji,
Apke blog par apkee kavitaen padhee.Achchee lagee.Videsh men rah kar bhee ap hindi ke liye itna samaya nikal rahe han yah hindi ka saubhgya ha.
Shubhkamnaen.Mere blog par bhee apka swagat ha.
Hemant Kumar

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