Monday, May 23, 2011

आ जाओ !

बेसाख्ता मेरी जिंदगी में इक दिन फिर से आ जाओ !
मेरी सांसों, मेरी धडकनों, मेरे दिल में समा जाओ!!

अब तक तडपते रहे है तेरे ही इंतज़ार में ओ जानम,
आ जाओ, आ कर मेरी दुनिया को  महका जाओ!!

न कभी तुम नाम भी लेना, मुझे फिर छोड़ जाने का,

न सताओ चले भी आओ मेरी जिंदगी में छा जाओ!!

किसी की नहीं है चाहत,  बस इक तेरी ही कमी है,

मेरे इस पागल मन को अपनी हँसी से सहला जाओ!!

खुशियाँ मिल जाएँगी जहाँ भर की जब तुम यहाँ होंगे,

चंचल आँखों के छलकते जाम मुझे फिर से पिला जाओ!!

डर लगता है मुझे दुनिया की झूठी चमक-ओ-दमक से,

मेरे आस्तित्व पे अपनी गहरी जुल्फों को बिखरा जाओ!!

5 comments:

Arun sathi said...

अति सुन्दर

Urmi said...

मेरे ब्लॉग पर आकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मुझे किसी की नहीं है चाहत, बस इक तेरी ही कमी है,
मेरे पागल मन को अपनी मुस्कराहटों से सहला जाओ!!
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! इस लाजवाब और शानदार रचना के लिए बधाई!

Unknown said...

बहुत ही भावुक रचना.....

आशु said...

अरुण जी, बबली जी व् विकास जी,

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,

आशु

Dr Varsha Singh said...

बहुत ही खूबसूरत है!

Copyright !

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