Friday, May 13, 2011

आ जाओ लौट के बाँहों में....



आ जाओ लौट के बाँहों में !
चले आओ चली हुई राहों में!

बीते दिनों को दिल,
फिर से याद करता है,
तुम से मिलना हो जल्दी,
बस यही फरियाद करता है,
किस सोच में डूबे हो तुम,
आ जाओ प्यार की पनाहों में!
आ जाओ ..................

जब भी कभी मेरे कदम,
बीती राहों पर लौट जाते है,
हमारे प्यार के लम्हों की,
मुझे फिर से याद दिलाते है,
तुम्हारे होने का एहसास,
होता है इन सब की निगाहों में!
आ जाओ .................

यह शाखों से टूटे हुए फूल
यह गिर कर मुरझाये पत्ते,
यह सब गवाह है हमारे
तुम्हारे प्यार की दास्ताँ के,
दिल टूट गया तुम भूल गए,
कुछ असर नहीं है आँहों में! 
आ जाओ .................

तेरी ख्वाइश-ए-दीदार में
मैंने सब कुछ गँवा दिया,
तेरे तसव्वुर, तेरी चाहत में,
अपना घर तक भी जला दिया,
तुम क्या जानो हमने क्या पाया
क्या खोया  इश्क की राहों में!
आ जाओ .................

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

बहुत ही लाजवाब भाव हैं ... किसी के आ जाने से कितना कुछ हो सकता है ...

आशु said...

दिगम्बर जी ,

आप का बहुत बहुत शुक्रिया..

आशु

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