Wednesday, November 25, 2009

पानी के बुदबुदे सा...एक एहसास ...

हाँ तुम्हारे अन्दर शायद हमेशा एक एहसास तो रहा होगा जिसे मैं पागल उस वक़त जान नही पाया, समझ नहीं पाया। बिल्कुल पानी के बुदबुदे जैसा एहसास...इतना नाजुक सा ...टूटने का तुम्हे दर्द तो हुआ होगा आज वक़त की लहर ने शायद उस का वजूद मिटा दिया है। हमारा भी क्या रिश्ता था, अब सोचता हूँ तो लगता है के मैं कितना बुधू , नादान और अनजान था जो तुम्हारे दिल के ज़ज्बातों को , जो उस रिश्ते की अहमियत का एहसास रखते थे, समझ नही पाया और दौड़ता रहा एक अनजान मंजिल की ओर । तुम सब से छुप कर मिलने आती थी और पहरों मेरे साथ बैठी रहती थी और मेरी उल जलूल बातें सुनती रहती थी, पर अपने दिल की बात कभी नहीं बताई

तुम्हे शायद इस सब का एहसास था इसिलये जैसे तुम अपने अन्दर की उधेड़ बुन को अपनी हँसी में छुपा लेती थी। मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कभी अपनी हाथों की रंग बिरंगी चूड़ियों को पकड़ कर अपनी उँगलियों से ऊपर नीचे करते हुए उन में से एक संगीत जैसी खनक वातावरण में फैला देती थी, तो कभी अपनी आँखों को मेरी आंखों में डाल कर मेरे दिल की गहरायी को नापने
की कोशिश। जब तुम अपने हाथों में मेरे हाथों को ले कर अपनी उँगलियों से हलके से जो तुम सहला देती थी उस से एक एहसास सा होता था, लगता था जैसे मेरे अन्दर, मेरे दिल के किसी कोने में, किसी को अपना बनाने की एक नाजुक सी भावना जाग उठती थी। फ़िर भी मैं यही pretend करता रहा जैसे मुझे तुम्हारे प्यार का कोई एहसास नही था ..आज उस प्यार की गहरायी को महसूस कर के पछता रहा हूँ

हाँ, आज यादों के उन शोलों को हवा दे कर ख़ुद को तडपाना अच्छा लगता है
। दिल के ज़ख्मों को कुरेद कर सकून ढूँढने की नाकाम सी कोशिश लगी रहती है पर सिवाय दर्द के कुछ भी हासिल नहीं हो पाता। तुम्हारे उन अल्हड एहसासों को क्या नाम दूँ, आज तो वो शायद तुम्हारे लिए भी बेमानी हो चुके होंगे , वक़त की धूल की परत उन पर इतनी गहरी जम चुकी होगी के अब तुम्हे कभी उन के होने का पता भी नही चलता होगा। मेरे ख्यालों की दुनिया में आज भी तुम्हारी मुस्कराती हुई आँखें बार बार मेरी आँखों के सामने आ जाती हैं और यह सवाल पूछती हैं 'मेरी दुनिया में तुम उस वक़त क्यों नहीं आये? आज क्यों याद कर रहें हो? तुम उस वक़त की हकीकत को तो समझ नहीं पाए तो आज की हकीकत को तो समझो । अब मेरे उन एहसासों को याद कर उन का नामकरण करने से क्या हासिल होगा? भूल जाओ मेरे ख्यालों को अब तुम्हे अपनी दुनिया की हकीकत में ही जिंदा रहना होगा।'

काश! वो पल वो क्षण , वो दिन कभी लौट पाते

4 comments:

Udan Tashtari said...

भूल जाओ मेरे ख्यालों को अब तुम्हे अपनी दुनिया की हकीकत में ही जिंदा रहना होगा।'


-सुन्दर लेखन!! प्रवाहमयी..काव्यात्मक!!

अनिल कान्त said...

बेहद खूबसूरत
दिल में उतरने वाली रचना

निर्मला कपिला said...

लाजवाब सेंवेदनाओं के साथ अपने प्रवाह मे बहाती सुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई

आशु said...

आप सब का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया

आशु

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