Monday, November 17, 2008

कभी यूँ ही..


मेरी तन्हाई की हमराज़
तेरी रंग भरी याद!
करती है
वीरान दिल को आबाद !
तरीक ज़िन्दगी के,
उफक को
तेरी यादों के जुगनू
रोशन करते हैं।
लेकिन
फ़िर भी
कभी यूँ ही
जाग उठती है
सहसा
वोही रूहानी प्यास।
तुम्हारे करीब
बहुत ही करीब
आने की आस।
जी चाहता है
उसी तरह
फ़िर से
गुम हो जाऊं।
के बस
ख़ुद को भी
ढूंढ ना पाऊँ।
खो जाऊं
तुम्हारी
बाहों के हिसार में।
और
भूल जाऊं
हर रंजो-गम
तेरे प्यार में।
और
तुम
फ़िर से खेलो
मेरे गेंसूओं से।
के मैं
भूल जाऊं
कम्बखत आंसूओं को
जो तेरी याद में
बहा करते हैं।
और
जिन का कोई
वक़त मुक़रर्र नहीं
तुम्हारी याद की तरह
यह भी
मुसलसल है।
यूँ तो तेरी याद से दिल
बहला लेती हूँ
लेकिन
फ़िर यह नामुराद दिल
जिद पे आ जाता है।
और चाह्ता है
के फ़िर से
बैठे
गुलमोहरों के साये तले।
और
गिले शिकवे करें
फ़िर मिल के गले।
वोही प्यारी प्यारी
मीठी मीठी
बातें करे।
बिखरे हुए
सुराख़ सुराख़
फूल चुने।
और रंग भरे
खवाब
फ़िर से बुने।
फ़िर थक के
बाँहों में
सो जायें।
खवाबों की दुनिया में
खो जाएँ।
लेकिन
उफ़
यह रीत और रिवाज़ की आसीरी
यह तेरे मेरे बीच की दूरी।
यह हमारे मिलने की मजबूरी।
घुट के
रह जाते हैं
दिल में
सपने।
और कभी नही
होते यह
मेरे अपने।
लेकिन यह ख्वाब
तुम्हारे प्यार की तरह
पाकीजा है
लासानी है
इन्ही से मैं
दिल को बहला लेती हूँ।
लेकिन फ़िर भी।
कभी कभी।
सहसा
जाग उठती है
वोही पुरानी रूहानी प्यास
तुम्हारे करीब
बहुत करीब
आने की आस।

1 comment:

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Bhai Ashooji,
Bahoot hee sundar romantic kavita likh dalee hai apne.Aur apki kavita kee khoobee iskee sadagee,saral aur pravahmayee bhasha hai.Meree hardik badhai.
Main chahta hoon ap mere blog par meree kavita Katghare ke bheetar jaroor padhen.Shubh kamnaen.
Hemant Kumar

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