Wednesday, May 28, 2008

मेरे ब्लॉग की शुरुयात

एक दिन मै,
अनमना सा
इस ज़िंदगी को
पिछली ज़िंदगी से
नापने तोलने लगा!

मन के उठते तूफानों को
यादों के बियाबनो से
ढूँढ ढूँढ कर
बीते लम्हों के
खोये सपनो को
आंसुओं मे घोलने लगा

कुछ पुराने बक्से टटोले,
धूल से भरी डाय्रिओं के
पीले हुए पन्ने खोले,
बीते दिनों के अक्सों को
अपने ज़हन के परदे की
परतों को खोलने लगा!

मन के किसी कोने से
निकलने लगे यादों के कई चेहरे,
उन्ह लम्हों को याद कर
जब लेह्राए थे मेरे ख़बावों के सेहरे,
राख मे दबी हुई चिंगारीओं
फ़िर से झंझोड़ने लगा!

आज मेरी आंखों मे
अतीत के साए खड़े है,
सच्चाई कड़वी लगती है
पर एहसास सब खरे है,
इन यादो को अब ब्लाग मे
लिख कर उतारने लगा!

2 comments:

mamta said...

अच्छी रचना।

वैसे कहा तो सही है।

बालकिशन said...

आज मेरी आंखों मे
अतीत के साए खड़े है,
सच्चाई कड़वी लगती है
पर एहसास सब खरे है,
इन यादो को अब ब्लाग मे
लिख कर उतारने लगा!

अति सुंदर.
एकदम सच.

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