Monday, May 19, 2008

ग़ज़ल

जो दिल में छुपा है दर्द हम समझा नहीं सकते!
जो ठेस जिगर पे खाई है हम दिखला नहीं सकते!

कहते थे यार हम से की हम भी कया अजीब हैं,
इस की वजह चाहें भी हम बतला नहीं सकते!

हमारा जो हाल पूछते हैं उनको यह ख़बर नहीं,
जवाब इस का जो ढूंढे तो हम पा नहीं सकते!

उन्ह से बिछड़े हुए हमें सदियाँ ही गुजर गयी
पर याद उन्ह की दिल से हम भूला नहीं सकते!

बदनसीबी ने प्यार का दीया यूँ गुल कर दिया है,
इसे फ़िर से जलाना चाहें तो हम जला नहीं सकते!

खैर यूँ मर तो नहीं जायेंगे हम तेरी जुदाई में,
पर सकूने-मंजिल ज़िंदगी भर हम पा नही सकते!

ज़िंदा हैं किसी के गम का सहारा लिए हुए,
एह्साने-ज़िंदगी वरना अब हम उठा नहीं सकते!

5 comments:

Manas Path said...

उन्ह से बिछड़े हुए हमें सदियाँ ही गुजर गयी
पर याद उन्ह की दिल से हम भूला नहीं सकते!

राजीव रंजन प्रसाद said...

कोमल अहसासों की सुन्दर प्रस्तुति।

***राजीव रंजन प्रसाद

Udan Tashtari said...

सभी शेर बढ़िया हैं, बधाई.

आशु said...

Atul ji, Rajeev jee aur Usdan tashtari ji,

Honsla-afzaee ke liye tahe dil se shukarguzar hoon aap ka. Aise hee himmat badaate rahe, to luchh likhne ka sahas karta rahoonga. Umeed hai aap apne comments dete rahenge aur mujhe aise hee aspire karte rahenge,

Ashoo

आशु said...

उड़न तस्तरी जी,

कहता मुआफ आप का नाम ठीक से नही आया इंग्लिश मी। आप की site बहुत मजेदार है और नाम और भी कमाल !

Ashoo

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