Tuesday, May 6, 2008

तुम कहती हो.....

तुम कहती हो
"तुम मुझे भूल जाओ"
मैं कैसे भूल जाऊं
मैंने तुम से प्यार कीया है !
पहरों बैठ कर
तुम्हारा इंतज़ार कीया है !

तुम कहती हो
"खत्म करो यहीं पर यह कहानी"
कैसे बताऊं
दीलो-दीमाग पे छाई है
तुम्हारे क़दमों की आहट!
मील कर तुम से
दील को मीलती है कीतनी राहत !

तुम कहती हो
"नहीं निभ सकेगा यह रीशता"
अब कैसे समझाऊँ ?
रीश्ते तो आप ही
कायम हो जाते है
बसी हो तुम
मेरी रग रग में !
तुम्हे भूला दूँ
यह बात नहीं मेरे बस में !

तुम कहती हो
"मेरी तुम्हारी राहें जुदा है"
तुम्हे कैसे बताऊं ?
कीस तरह छुप के
तुम्हे दील में आबाद कीया हैं!
हर घड़ी हर लम्हे
तुम्हे बहुत ही याद कीया है !

अब तुम्ही कहो
मैं क्या करूं ?
तुम्हे कैसे भूला दूँ?
कैसे खत्म कर दूँ यह कहानी?
कैसे तोड़ दूँ यह रिश्ता ?
कैसे जुदा कर दूँ अपनी राहें?

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